शुक्रवार, 7 सितंबर 2012

मर गई इंसानियत





मर गई इंसानियत,अस्पताल कर्मियों ने कूड़े के ढेर पर फेंक दिया मरीज को

अमृतसर। स्थान : गुरु नानक देव अस्पताल, इमरजेंसी वार्ड, समय : सुबह के 8.00 बजे।

वार्ड के बाहर पड़े बेंच पर तड़पता एक 30 वर्षीय युवक। रह-रह कर उसके गले से चीख निकल रही है और वह दर्द से कराह जाता है। उसने तीन दिन से कुछ खाया-पीया नहीं है। उठने की कोशिश करता है। कमजोरी व दर्द के कारण टांगें जवाब दे जाती हैं और वह धड़ाम से गिर जाता है। आधे घंटे से वह इस स्थिति से गुजर रहा है। साढ़े आठ बजे दर्जा चार मुलाजिम व्हील चेयर लेकर आता है और उसे लाद लेता है। कुछ पल बाद ही वह व्यक्ति अस्पताल के बाहर पड़े कूड़े के ढेर के पास नजर आता है। उसे फेंक कर कर्मी चलते बने और युवक तड़पने लगा। इसी हालत में वह पूरे चार घंटे 36 मिनट तक रहा, मगर किसी अस्पताल कर्मी को उसकी स्थिति पर तरस नहीं आया। जंडियाला के पास स्थित गांव निज्जर में रहने वाला यह युवक कुलजीत सिंह अकेला है, उसके परिवार में और कोई नहीं। मां-बाप की मौत हो चुकी है। मेहनत मजदूरी करके पेट पालता है। मंगलवार को गले तथा टांगों में दर्द हुई तो वह गुरु नानक देव अस्पताल आया। ओपीडी में गया तो स्टाफ ने इमरजेंसी में जाने का सुझाव दिया। जब वह इमरजेंसी में गया तो वहां उसकी फाइल तैयार नहीं की गई, क्योंकि वह लावारिस था। फाइल तैयार करने का खर्च उठाने में वह असमर्थ था। ओपीडी से इमरजेंसी, इमरजेंसी से ओपीडी के कई चक्कर लगाए। इस क्रम में तीन दिन गुजर गए, मगर उसकी किसी ने सुध नहीं ली। वीरवार को स्थिति ज्यादा बिगड़ी तो वह फिर इमरजेंसी में पहुंचा जहां से उसे कूड़े के ढेर पर किसी मरे हुई जानवर की तरह से फेंकवा दिया गया। किसी ने मीडिया कर्मियों को सूचना दी और दोपहर 12.30 बजे मीडिया वहां जमा हो गया। जानकारी मिलने के बाद मेडिकल अफसर डा. तेजबीर सिंह मौके पर पहुंचे और उन्होंने उसे 1.06 बजे दाखिल करवाया।
1400 रुपए का मामला-अखिल भारतीय ह्यूमन राइट्स आर्गेनाइजेशन के सेक्रेटरी जनरल हवा सिंह के अनुसार कुलजीत ने उनको बताया कि जब वह इलाज करवाने गया तो उससे 1400 रुपए का खर्च बताया गया, जो उसके पास नहीं थे। तंवर के मुताबिक जब उनकी टीम ने मरीज का बयान लेना शुरू किया, तब जाकर उसका इलाज शुरू किया गया। 

दैनिक भास्कर ७-०९-२११२ से 

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